बुधवार, 23 नवंबर 2011

मेरी हर ग़ज़ल तू है ...

मेरा दिल तू है
मेरी हर ग़ज़ल तू है
रोशन है तुझसे मेरी दुनिया
मेरी हर महफ़िल तू है
मेरा मरहम तू है
मेरी नज़्म तू है
हूँ प्यासा तेरी चाहत का
मेरा हमदम तू है
दिल का राज तू है
मेरा हर साज़ तू है
लबों से गुनगुना सकूँ जिसे
मेरी वो आवाज़ तू है
मेरा तन-मन तू है
मेरी धड़कन तू है
निहार सकूँ जिसे हर पल
"राज" का दर्पण तू है !!

रविवार, 20 नवंबर 2011

रोना ही तो ज़िन्दगी नही है ......

रोना ही तो ज़िन्दगी नही है
कुछ खोना ही तो ज़िन्दगी नही है
कुछ खो कर पाना ही तो ज़िन्दगी है
किसी को हँसाना ही तो ज़िन्दगी है
किसी का दिल दुखाना तो ज़िन्दगी नही है

किसी को ठुकराना ही तो ज़िन्दगी नही है
किसी डुबतें को बचाना ही ज़िन्दगी है
किसी को उठाना ही ज़िन्दगी है
सपने देखना ही तो ज़िन्दगी नही है

क़दमों को रोकना ही तो ज़िन्दगी नही है
सपनों को हकीक़त में बदलना ही ज़िन्दगी है
क़दमों का मंजिल को पा लेना ही ज़िन्दगी है
गिरना, उठना, उठना, गिरना
उठ के फिर से चल पड़ना

और फिर मंजिल को पा लेना ही तो
“राज” ज़िन्दगी है.

सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

मुझे बहुत याद आती है माँ.........

मुझे बहुत याद आती है माँ
अपनी औलाद को बहुत चाहती है माँ


मेरे लाल को किसी की नजर ना लगे
अपने आंचल मे उसको छुपाती है माँ


खुद गीले में सो जाए बेशक
अपने लाल को सूखे में सुलाती है माँ


उस माँ का क़र्ज़ कौन उतारे भला
जिसे अपना दूध पिलाती है माँ


जग में माँ से बढ़कर कोई गुरु नही है
ऊँगली पकड़कर चलना सिखाती है माँ


औलाद की खुशियों की मांगे दुआएं
अपने हिस्से का निवाला भी खिलाती है माँ


"राज" को बहुत याद आती है माँ
अपनी औलाद को बहुत चाहती है माँ

मेरी पुकार भी सुन ले भगवान

मेरी पुकार भी सुन ले भगवान
अत्याचार से कैसे बचे इंसान

हर तरफ भ्रष्टाचार का हाहाकार है
दे जो रिश्वत उसी की पुकार है
मुश्किलों में पड़ी है गरीबों की जान
मेरी पुकार भी सुन ले भगवान

मजहब के नाम पर लोग भड़काएं जाते हैं
बेकसूरों का खून बहाकर सबूत मिटाए जाते हैं
काला धंधा करने वाले सफ़ेद कपड़ों में है महान
मेरी पुकार भी सुन ले भगवान

नशे का सरेआम खुलता बाजार है
नारी का यहाँ होता व्यापार है
बेटियों को मार कर छीन रहे हैं उनकी मुस्कान
मेरी पुकार भी सुन ले भगवान

फरियाद सुनने वाले फिर कोई चमत्कार कर दे
"राज" की विनती है कोई नया अवतार कर दे
डर लगता है, कहीं मान रहे, ना रहे सम्मान
मेरी पुकार भी सुन ले भगवान

TUM EK AAINA HO.........

Jab bhi milti huN tumse, bus ye sochti huN
Ye kon hai jo mere jaisa nahi hai
phir kyoN mere jaisa lagta hai

Sochta hai meri taRah,meri jeisi baateN karta hai
meri khamoshi ko zubaaN dekar
meri jaisi baateN kahta hai

Ye kon hai jo dil ki gahraai meiN utar aaya hai
or inme chupi udaasi ke moti dhund laaya hai
ab palkoN ke saayeN meiN hr pal wahi rahta hai

Lekin aaj tumaahre saamne bethkar
dil lo ye mahsus huaa ki TUM EK AAINA HO
jismeN mera ashk dikhta hai.

..............N M...................
..............N M...................

Es diwaali par….

Es diwaali par….


Es diwaali par ek deep hum bhi jalaaeNge
DeepooN ki paNKti meiN ek paNKti hum bhi sajaaeNge
Rooshan kareNge hum saare jahaaN ko
Har taraf khushiNyaaN hi khushiNyaaN phaelaaeNge
Es diwaali par ek deep hum bhi jalaaeNge

Na hindu, na muslim, iNsaaniyat majahab hamaara
SarhadooN ki bisaat hi kyaa jo humeN tood sakeN
Hum aapsee bhaai-chaare ki aesi joot jagaaeNge
Es diwaali par ek deep hum bhi jalaaeNge

Jo dil meiN bus chuki hai nafrat, usko mitaana hai
"RAJ" Apnoo se bichad chuke jo, unko milaana hai
JaeseN deepoN ke sang deep milte haiN
JaeseN keechad meiN kamal khilteN haiN
AeseN hi haevaan ban chuke jo, unko iNsaan banaaeNge
Es diwaali par ek deep hum bhi jalaaeNge

Bahut roo chuki haiN yeN aaNkheN,
Bahut kuch khoo chuki haiN yeN aaNkheN
Mitaa deNge jo aNdheraa hai es jamee par
Roote huae har chahre par muskaan laaeNge
Es diwaali par ek deep hum bhi jalaaeNge
DeepooN ki paNKti meiN ek paNKti hum bhi sajaaeNge.

शनिवार, 22 अक्तूबर 2011

Log kahteN haiN mujhko


MaiN uska diwaana huN,
Log kahteN haiN mujhko
Tere ishq meiN maStaana huN,
Log kahteN haiN mujhko

Na din, na raat ka pta,
Na khud ki jaat ka pta
Khud se hi begaana huN,
Log kahteN haiN mujhko

Tere khwaabooN me aauN,
Tujhko khwaabooN meiN bulaauN
Tera hi parwaana huN,
Log kahteN haiN mujhko

Aa sanam aa, aagosh me mere,
KhushiyaaN bhar duN jeevan me tere
Piyaar ka khazaana huN,
Log kahteN haiN mujhko

Na khud ki khabar
“Raj” ko
Na zamaane ki khabar
MaiN bhi ek taraana huN
Log kahteN haiN mujhko

सोमवार, 31 जनवरी 2011

भारत माता को हमारा सलाम........

भारत माता के लिए अपनी जान गंवाने वालों को हमारा सलाम
काँटों भरे इस पथ पर आने वालों को हमारा सलाम

जब-जब देश पर आतंक के काले बादल मंडराएँ
तब-तब देश की खातिर, सीने पर गोली खाने वालों को हमारा सलाम

अपना सब कुछ लुटाकर, जिन्होंने देश के लिए जीना सिखा है
देश की आबरू के लिए मर-मिट जाने वालों को हमारा सलाम

उनको दुश्मन क्या मारेगा, जो सिर पर कफन बांधकर निकलते है
गोलियों की बोछारों से न डरने वालों को हमारा सलाम

धन्य हैं वे सपूत जिन्होंने चारों तरफ अमन ओर शांति का सन्देश दिया
सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाने वालों को हमारा सलाम

सलाम उन माताओं को जिन्होंने बेटे दिए, बहनों ने भाई दे दिए
उन देशभक्त शहीदों के घर वालों को हमारा सलाम

तिरंगा हमेशा लहराता रहे, तिरंगा लहराने वालों को हमारा सलाम
भारत माता के लिए अपनी जान गंवाने वालों को हमारा सलाम