सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

मेरी पुकार भी सुन ले भगवान

मेरी पुकार भी सुन ले भगवान
अत्याचार से कैसे बचे इंसान

हर तरफ भ्रष्टाचार का हाहाकार है
दे जो रिश्वत उसी की पुकार है
मुश्किलों में पड़ी है गरीबों की जान
मेरी पुकार भी सुन ले भगवान

मजहब के नाम पर लोग भड़काएं जाते हैं
बेकसूरों का खून बहाकर सबूत मिटाए जाते हैं
काला धंधा करने वाले सफ़ेद कपड़ों में है महान
मेरी पुकार भी सुन ले भगवान

नशे का सरेआम खुलता बाजार है
नारी का यहाँ होता व्यापार है
बेटियों को मार कर छीन रहे हैं उनकी मुस्कान
मेरी पुकार भी सुन ले भगवान

फरियाद सुनने वाले फिर कोई चमत्कार कर दे
"राज" की विनती है कोई नया अवतार कर दे
डर लगता है, कहीं मान रहे, ना रहे सम्मान
मेरी पुकार भी सुन ले भगवान