सोमवार, 28 दिसंबर 2015

घर में खुशियों की सौगात है, मेरी बेटी

हर दुःख सुख में मेरे साथ है, मेरी बेटी
घर में खुशियों की सौगात है, मेरी बेटी

नटखट सी, भोली सी, बड़ी प्यारी सी है
मेरी गुड़िया, मेरी बेटी, बड़ी दुलारी सी है
है वो मासूम सी, ज़िद भी बहुत करती है
सच कहूँ ! हसीं की बरसात है, मेरी बेटी
घर में खुशियों की सौगात है, मेरी बेटी

शरारत के सिवाय कुछ नही करती है
चूहे के अलावा किसी से नही डरती है
घर में उसका अलग ही रौब होता है
कोई डाल डाल, तो पात पात है, मेरी बेटी
घर में खुशियों की सौगात है, मेरी बेटी

एक से बढ़कर एक ख्वाहिशें हैं उसकी
रोज़ होती नई-नई फरमाइशें हैं उसकी
मैं उसके सवालों से बच नही पाता हूँ
जब कभी भी करती सवालात है, मेरी बेटी
घर में खुशियों की सौगात है, मेरी बेटी

दुनियाँ में उसको अलग पहचान दिलानी है
बेटियाँ बोझ नही, बात सबको समझानी है
साथ, कदम से कदम मिलाकर चलेगी वो
हमेशा मैं उसके, वो मेरे साथ है, मेरी बेटी
घर में खुशियों की सौगात है, मेरी बेटी 





गुरुवार, 3 दिसंबर 2015

आजा मेरे ख्वाबों में आ.........

आजा मेरे ख्वाबों में आ
आके फिर से मुझे सता

मैं जो रूठ जाऊं तुझसे
सिर्फ तू ही मुझे मना

झील सी आँखों में डूब जाऊं
मुझे अपनी पलकों में छुपा

भूल जाऊं सारी कायनात को
फिर मुझे ऐसा दीवाना बना

बाहाओं में गिरफ्तार कर ले
उम्र भर कैद की सज़ा दे सुना

लौट आ मेरे आगोश में तू
या "राज़" को अपने पास बुला

ग़मों के दौर तो आते जाते रहेंगें.......

गर हँसने वाले यूँही हँसाते रहेंगे
हम उम्रभर यूँही मुस्कुराते रहेंगें

चाहने वालों की कमी नही है
चाहने वाले तुझे चाहते रहेंगें

ये वादा है सदा हम साथ हैं तेरे
खुदा कसम ये वादा निभाते रहेंगें

सुबह शाम दुआ सलाम होती रहे
इन ख़्वाबों को हम भी सजाते रहेंगें

मामूली ज़ख्मों से ना घबराया कर
ग़मों के दौर तो आते जाते रहेंगें

दुनियाँ की ना परवाह किया कर
देख तेरी बुलंदी वो घबराते रहेंगें

तेरे आँगन में रहे खुशियाँ सदा
ईश्वर के घर दीप जलाते रहेंगें

बुधवार, 2 दिसंबर 2015

रोना ही नहीं, हर समस्या का हल, ज़िन्दगी में

कोई क्या जाने, क्या हो कल, ज़िन्दगी में ?
रोना ही नहीं, हर समस्या का हल, ज़िन्दगी में 

क्या हुआ जो आज कोई अपना साथ नहीं मेरे ?
होगा हर कोई मेरा, आयेगा ये भी पल, ज़िन्दगी में 

चट्टान बनकर लड़ना होगा, इन आग के अंगारों से 
यूँ मामूली से दिए से ना, पिघल, ज़िन्दगी में 

ऐ "राज" हार-जीत तो ज़िन्दगी का इक हिस्सा है 
ना देख मुड पीछे, बस तू चलता-चल, ज़िन्दगी में !!




शनिवार, 21 नवंबर 2015

किस्मत अपनी के भी कमज़ोर सितारे हैं

  गम के मारे हैं
  कुछ बेचारे हैं

किस्मत अपनी के भी
 कमज़ोर सितारे हैं.......

कहने को अपने हैं
  झूठे सहारे हैं

ज़िन्दगी मझदार में हैं
  दूर किनारे हैं

किस पे यकीं करूँ
   बेवफा सारे है

राज़ उड़ेगा आसमां में
  पकड़ने तारे हैं !!



ठेकेदार इन्हें बनाता कौन है ?

गिरते को उठाता कौन है ?
भूखे को खिलाता कौन है ?
दिलों में खार इतनी है
रूठों को मनाता कौन है ?
खड़े सब तमाशा देखते हैं
लूटती आबरू बचाता कौन है ?
टीवी मोबाइल गेम की दुनिया
पुरानी कहानियां सुनाता कौन है ?
हम अपने कमरों तक सीमित है
हाल पूछने जाता कौन है ?
बचपन बोझ में दब गया यहाँ
खुलकर खिलखिलाता कौन है ?
आपस की जरुरत हैं हम सभी
एक दुसरें को समझाता कौन है ?
देखो रोज़ दंगे करवाते हैं ये
ठेकेदार इन्हें बनाता कौन है ?




मंगलवार, 17 नवंबर 2015

चमक जाऊं किस्मत मेरी बना दे माँ

चमक जाऊं किस्मत मेरी बना दे माँ
मुझे कोई नया राश्ता दिखा दे माँ

इस शहर में तुझ बिन भटक गया हूँ मैं
सही राह पर चलना अब सिखा दे माँ
जहाँ इस में किसी की ना कदर कोई
सभी दिल में छुपा रावण जला दे माँ
कभी जलती कभी यें कोख में मरती
सभी समझें सभी का घर बसा दे माँ
यहाँ नफरत किसी से ना करें कोई
रहें मिलकर हवा ऐसी चला दे माँ



सोमवार, 13 जुलाई 2015

एक छोटी सी पहल से बच्चों का जीवन खतरे में नही पडेगा


आज के इस दौर में बच्चों को स्कूल की शिक्षा के साथ साथ घरेलू शिक्षा की बहुत ही ज्यादा ज़रूरत है । सभी माँ बाप अपने बच्चों से बहुत प्यार करते हैं लेकिन ध्यान रखने योग्य बात है कि कही हमारे बच्चें हमारे प्यार का नाजायज़ फायदा तो नही उठा रहें है । हम उनकी सहूलियत को ध्यान में रखते हुए उनको बाइक या बड़ी बड़ी गाड़ियाँ लेकर दे देते हैं । लेकिन अक्सर देखने में आता है वही लड़का अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर बीच सड़क पर मोटरसाइकल से स्टंट करता नज़र आता है रेस लगाईं जाती है जिसमे जान जाने का भी जोखिम बहुत ज्यादा होता है । माँ बाप को चाहिए वो अपने बच्चों के साथ घर में बैठ कर इस विषय पर बात करें उनको समझाएं । उनको गलत और सही की पहचान बताएं , अगर कोई लड़का ऐसा करता है तो उसको डांटे भविष्य में ऐसा ना करने के लिए सचेत करें माँ बाप की एक छोटी सी पहल से बच्चों का जीवन खतरे में नही पडेगा।

बुधवार, 1 जुलाई 2015

Sawaa rupye da prsaad chadhaNvaN

Oye mere rabba
Sit notaaN da thabba

Kar koi kamaal
Kar de malaamaal

Hove gaddi nyaari
De de Bmw, Faraari

Sarkaari noukri de de
Naal koi chhokri de de

Mahlaa vairgaa ghar hove
ChoraaN da naa dar hove

Nit maiN tour te jaaNvaN
Kade maiN jahaaz udaaNvaN

KhusiyaN di chhaN hove
Gam da naa naa hove

Tere agge ardaas daata
Kar saadi puri aas daata

Raati jad vi soNvaaN
Maa di god ch hovaaN

MuraadaN je puri paavaN
Sawaa rupye da prsaad chadhaNvaN



शनिवार, 7 मार्च 2015

पा-पा, पा-पा कह कर पास बुलाना

वो तेरा खिलखिलाना 
वो तेरा तुतलाना 
पल-पल में रो देना
पा-पा, पा-पा कह कर पास बुलाना
हर पल याद आता है मुझे


ऊगली पकड़कर चलना 
गिर कर फिर से संभलना
आँखों से ओझल होते ही
वो मेरी आँखों का मचलना
हर पल याद आता है मुझे


वो तेरे चेहरे की मासूमियत 
वो तेरी छोटी-छोटी सी शरारत
बात-बात पर गुस्सा आना
बात-बात पर सबको हँसाना
हर पल याद आता है मुझे


सो जाने पर तुझको निहारना
आते ही घर तुझको पुकारना
तेरे बिना वक़्त जैसे चलता ही नही
हर वक़्त तेरे संग गुजारना
हर पल याद आता है मुझे


सोना-चाँदी सब बेकार है
"राज" की हर खुंशी है तू
तेरी हर खुंशी को पूरा करना
तेरा दामन खुंशियों से भरना 
हर पल याद आता है मुझे


चलेगी ज़िन्दगी तेरे ही संग

चलेगी ज़िन्दगी तेरे ही संग
रहेगी ज़िन्दगी तेरे ही संग

आ उड़ बादलों को छू लें
उड़ेगी ज़िन्दगी तेरे ही संग

खुशबूं प्यार की फैला ज़रा
खिलेगी ज़िन्दगी तेरे ही संग

चांदनी बन मेरे आँगन आ
ढलेगी ज़िन्दगी तेरे ही संग

प्यार का नगमा कोई छेड़ें
कहेगी ज़िन्दगी तेरे ही संग

खुशियों को जी लें कुछ पल
हँसेगी ज़िन्दगी तेरे ही संग

चलेगी ज़िन्दगी तेरे ही संग
रहेगी ज़िन्दगी तेरे ही संग



====================


chalegi ziNdagi tere hi saNg
rahegi ziNdagi tere hi saNg

aa uad baadaloN ko chhu leN
uadegi ziNdagi tere hi saNg

khushbuN pyaar ki phailaa zaraa
khilegi ziNdagi tere hi saNg

chaNdani ban mere aaNgan aa
dhalegi ziNdagi tere hi saNg

pyaar ka nagamaa koi chhedeN
kahegi ziNdagi tere hi saNg

khushiyoN ko jee leN kuch pal
hasegi ziNdagi tere hi saNg

chalegi ziNdagi tere hi saNg
rahegi ziNdagi tere hi saNg

मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है...........

मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है
कुछ जिद्दी, कुछ नक् चढ़ी हो गई है
मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है

अब अपनी हर बात मनवाने लगी है
हमको ही अब वो समझाने लगी है
हर दिन नई नई फरमाइशें होती है
लगता है कि फरमाइशों की झड़ी हो गई है
मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है

अगर डाटता हूँ तो आखें दिखाती है
खुद ही गुस्सा करके रूठ जाती है
उसको मनाना बहुत मुश्किल होता है
गुस्से में कभी पटाखा कभी फूलझड़ी हो गई है
मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है

जब वो हस्ती है तो मन को मोह लेती है
घर के कोने कोने मे उसकी महक होती है
कई बार उसके अजीब से सवाल भी होते हैं
बस अब तो वो जादू की छड़ी हो गई है
मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है

घर आते ही दिल उसी को पुकारता है
"राज" सपने सारे अब उसी के संवारता है
दुनियाँ में उसको अलग पहचान दिलानी है
मेरे कदम से कदम मिलाकर वो खड़ी हो गई है
मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है !!



















































गुरुवार, 5 मार्च 2015

http://teesrijungnews.com/%E0%A4%AD%E0%A4%97%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%8D-%E0%A4%85%E0%A4%97%E0%A4%B2%E0%A5%87-%E0%A4%9C%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%AE-%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%9D%E0%A5%87-%E0%A4%AC%E0%A5%87%E0%A4%9F/

बुधवार, 4 मार्च 2015

बहुत याद आती है मुझे अपने गाँव की होली



बहुत याद आती है मुझे अपने गाँव की होली
रंगो की तरां दोस्तों से भरी थी अपनी झोली

चांदनी रात में सब मिलकर तूफानी करते थे
किसी की नही सुनते थे मनमानी करते थे
दुनियां के दुःख सुख से बेपरवाह होते थे
अपने ही गीत होते अपनी ही होती बोली
बहुत याद आती है मुझे अपने गाँव की होली

आज इसके कल उसके उपले तोड़े जाते
लाख बचाता कोई पानी के मटके फोड़े जाते
बाहर रखा सामान और के घर पंहुचा दिया जाता
शाम ढलते ही जब दोस्तों की बनती थी टोली
बहुत याद आती है मुझे अपने गाँव की होली

गुलाल लगाने एक दुसरे के घर जाते थे
जहां चलता गाना बजाना नाचने लग जाते थे
जात पात का भेद नही कहीं भी पकोड़े खा आते थे
तब रंग और पिचकारी थी नही थी बंदूक की गोली
बहुत याद आती है मुझे अपने गाँव की होली

छुपकर एक दुसरे को रंगों से जब भिगोते थे
रंगों से रंगे चेहरे तब देखने लायक होते थे
घर आते तो घरवाले बहुत हँसा करते थे
जब चेहरे पर रंगों से बनी होती थी रंगोली
बहुत याद आती है मुझे अपने गाँव की होली

नीम के पेड़ के नीचे जब महफ़िल सजती थी
मेरे गाँव में खुशियाँ ही खुशियाँ बसती थी
मेरे गाँव की खुशियों को किसी की नज़र ना लगे
"राज" तेरे गाँव पिंडोरा में यूँही मनती रहे हर होली
बहुत याद आती है मुझे अपने गाँव की होली

सोमवार, 2 मार्च 2015

भगवान् अगले जन्म मुझे बेटी ना बनाना

भगवान् अगले जन्म मुझे बेटी ना बनाना
भगवान् अगले जन्म मुझे बेटी ना बनाना

कुछ अपने घरों में हर साल कन्या पूजन करवाते हैं
कुछ बेदर्दी कोख में बेटी मारने की दूकान चलाते हैं
क्यों बेटों की चाह को हम, मन में पालते हैं ?
अपनी बेटियों को क्यों नही हम संभालते हैं ?
क्या बेटी होना पाप है ? कोई मुझे समझाना
भगवान् अगले जन्म मुझे बेटी ना बनाना
भगवान् अगले जन्म मुझे बेटी ना बनाना

अगर बेटी जन्म ले ले, तो ताने सहती है
बेटी घर का बोझ है, दुनिया ये कहती है
अपने ही घर से निकलना भी दुश्वार है
अपने ही माँ बाप का ये कैसा प्यार है ?
बेटियाँ बोझ नही है, दुनियाँ को ये है बताना
भगवान् अगले जन्म मुझे बेटी ना बनाना
भगवान् अगले जन्म मुझे बेटी ना बनाना

अपना ये कैसा नंगा संसार है ?
जहां होती आबरू तार-तार है
पूजा करें सरस्वती, काली, माता शेरोवाली की
कस्मे खाते है सभी बेटियोँ की रखवाली की
औरत को देखते ही, क्यों बदलता है ज़माना ?
भगवान् अगले जन्म मुझे बेटी ना बनाना
भगवान् अगले जन्म मुझे बेटी ना बनाना

इस पत्थर दुनियाँ का नही कोई जवाब है 
बेटियोँ के लिए ये दुनियाँ बड़ी खराब है
आज का इन्सान खुद को कहता भगवान् है
बेटियों के लिए हर मन में शैतान है
कब होगा बंद ? बेटियोँ पर ज़ुल्म ढाना
भगवान् अगले जन्म मुझे बेटी ना बनाना
भगवान् अगले जन्म मुझे बेटी ना बनाना

धन- दौलत ना मेरे बाबुल के पास है
ये सोच कर ससुराल में बेटी उदास है
दहेज़ की नित नई-नई मांगे होती हैं
अकेले में बैठी बेटी दिन-रात रोती है
कब बंद दहेज़ होगा ? 
कब होगा बंद बेटियों को जलाना ?
भगवान् अगले जन्म मुझे बेटी ना बनाना
भगवान् अगले जन्म मुझे बेटी ना बनाना

ये ज़िन्दगी मेरे मन के मुताबिक़ क्यों नही चलती ?

ये ज़िन्दगी मेरे मन के मुताबिक़ क्यों नही चलती ?
ये  शाम  थोड़ा और रूक कर  क्यों नही ढलती ?

ऐ चाँद तू मेरे आँगन में क्यों नही खेलता है ?
एक दिन सुबह भी मेरे संग क्यों नही चलती ?

ये कैसा गम हैं कि मेरा पीछा छोड़ता ही नही हैं ?
आखिर खुशियाँ मेरी झोली में क्यों नही पलती ?

दूर कहीं जाकर बसेरा बना लूँ उसकी निगाहों में मैं
ठोकरें खा -खाकर भी दुनियां क्यों नही संभलती ?

वो मेरी आँखों से दूर हो जाए तो बैचैनी हो जाती है
एक वो है उसको "राज" की कमी क्यों नही खलती ?