गुरुवार, 3 दिसंबर 2015

आजा मेरे ख्वाबों में आ.........

आजा मेरे ख्वाबों में आ
आके फिर से मुझे सता

मैं जो रूठ जाऊं तुझसे
सिर्फ तू ही मुझे मना

झील सी आँखों में डूब जाऊं
मुझे अपनी पलकों में छुपा

भूल जाऊं सारी कायनात को
फिर मुझे ऐसा दीवाना बना

बाहाओं में गिरफ्तार कर ले
उम्र भर कैद की सज़ा दे सुना

लौट आ मेरे आगोश में तू
या "राज़" को अपने पास बुला