गुरुवार, 3 दिसंबर 2015

आजा मेरे ख्वाबों में आ.........

आजा मेरे ख्वाबों में आ
आके फिर से मुझे सता

मैं जो रूठ जाऊं तुझसे
सिर्फ तू ही मुझे मना

झील सी आँखों में डूब जाऊं
मुझे अपनी पलकों में छुपा

भूल जाऊं सारी कायनात को
फिर मुझे ऐसा दीवाना बना

बाहाओं में गिरफ्तार कर ले
उम्र भर कैद की सज़ा दे सुना

लौट आ मेरे आगोश में तू
या "राज़" को अपने पास बुला

ग़मों के दौर तो आते जाते रहेंगें.......

गर हँसने वाले यूँही हँसाते रहेंगे
हम उम्रभर यूँही मुस्कुराते रहेंगें

चाहने वालों की कमी नही है
चाहने वाले तुझे चाहते रहेंगें

ये वादा है सदा हम साथ हैं तेरे
खुदा कसम ये वादा निभाते रहेंगें

सुबह शाम दुआ सलाम होती रहे
इन ख़्वाबों को हम भी सजाते रहेंगें

मामूली ज़ख्मों से ना घबराया कर
ग़मों के दौर तो आते जाते रहेंगें

दुनियाँ की ना परवाह किया कर
देख तेरी बुलंदी वो घबराते रहेंगें

तेरे आँगन में रहे खुशियाँ सदा
ईश्वर के घर दीप जलाते रहेंगें