मंगलवार, 1 मार्च 2016

अभी हमे और मन्दिर मस्जिद बनाने है

अभी हमें एक दुसरे के घर ढहाने है
अभी हमे और मन्दिर मस्जिद बनाने है

फुर्सत नही हमें देश के हित में सोचें 
कुर्सी की खातिर और झगड़े कराने है

सियासती चालें चल चल कर अब हमें 
बच्चें कुछ बूढ़े कुछ और इंसान जलाने है

इन गद्दारों का कोई मजहब नही होता है
मासूमों की लाश पर झूठें आसूं बहाने है
©®राजीव शर्मा "राज"
लुधियाना