गुरुवार, 13 मई 2010



 आओं पेड़ लगाएं 


पेड़ों के दर्द को क्यों नही समझते हम
पेड़ों के दर्द को कम क्यों नही करते हम
एक पेड़ तुम भी लगाओ
एक पेड़ हम भी लगाएं
जिस बंजर भूमि पर है मायूसी
हर उस कोने में हरियाली लाएं
कस्में तो खा लेते है हम सब
पर उन कस्मों पर क्यों नही चलते हम
पेड़ों के दर्द को क्यों नही समझते हम...............
पेड़ लगाएंगे तो फल भी खाएंगे
लकड़ियाँ तो मिलेंगी ही, छाया भी पाएंगे
जब-जब ये बारिश आएगी
पेड़ों के गीत सुनाएगी
पेड़ों में भी तो जीवन है
फिर पेड़ काटते वक़्त क्यों नही डरते हम
पेड़ों के दर्द को क्यों नही समझते हम...............
हरा-भरा रहेगा आँगन अपना
पेड़ों संग ही जुड़ा है जीवन अपना
पेड़ों को काटने वालो कुछ तो शर्म करो
अपने पत्थर दिल को थोडा सा नर्म करो
सब को पता है पेड़ ही तो जीवन है
फिर मोम की तरह क्यों नही पिघलते हम
पेड़ों के दर्द को क्यों नही समझते हम...............
पेड़ों के दर्द को कम क्यों नही करते हम !!






कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें