मंगलवार, 17 नवंबर 2015

चमक जाऊं किस्मत मेरी बना दे माँ

चमक जाऊं किस्मत मेरी बना दे माँ
मुझे कोई नया राश्ता दिखा दे माँ

इस शहर में तुझ बिन भटक गया हूँ मैं
सही राह पर चलना अब सिखा दे माँ
जहाँ इस में किसी की ना कदर कोई
सभी दिल में छुपा रावण जला दे माँ
कभी जलती कभी यें कोख में मरती
सभी समझें सभी का घर बसा दे माँ
यहाँ नफरत किसी से ना करें कोई
रहें मिलकर हवा ऐसी चला दे माँ