सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

मुझे बहुत याद आती है माँ.........

मुझे बहुत याद आती है माँ
अपनी औलाद को बहुत चाहती है माँ


मेरे लाल को किसी की नजर ना लगे
अपने आंचल मे उसको छुपाती है माँ


खुद गीले में सो जाए बेशक
अपने लाल को सूखे में सुलाती है माँ


उस माँ का क़र्ज़ कौन उतारे भला
जिसे अपना दूध पिलाती है माँ


जग में माँ से बढ़कर कोई गुरु नही है
ऊँगली पकड़कर चलना सिखाती है माँ


औलाद की खुशियों की मांगे दुआएं
अपने हिस्से का निवाला भी खिलाती है माँ


"राज" को बहुत याद आती है माँ
अपनी औलाद को बहुत चाहती है माँ