अच्छी आज दोस्ती निभाई तूने
जीवन में हमारे भरा अंधेरा
घर अपने दिवाली मनाई तूने
घर अपने दिवाली मनाई तूने
माना था तुझे ही यहाँ पर अपना
फिर क्यूं आग घर में लगाई तूने
फिर क्यूं आग घर में लगाई तूने
जीना चाहता साथ में तेरे मैं
क्यूँ दिल से मुहब्बत मिटाई तूने
क्यूँ दिल से मुहब्बत मिटाई तूने
आखिर क्यूँ हुआ बेवफा वो दोस्तों
जिस पर "राज़" ये जाँ लुटाई तूने ।
जिस पर "राज़" ये जाँ लुटाई तूने ।
राजीव शर्मा "राज़"
लुधियाना
लुधियाना