शनिवार, 21 नवंबर 2015
ठेकेदार इन्हें बनाता कौन है ?
गिरते को उठाता कौन है ?
भूखे को खिलाता कौन है ?
भूखे को खिलाता कौन है ?
दिलों में खार इतनी है
रूठों को मनाता कौन है ?
रूठों को मनाता कौन है ?
खड़े सब तमाशा देखते हैं
लूटती आबरू बचाता कौन है ?
लूटती आबरू बचाता कौन है ?
टीवी मोबाइल गेम की दुनिया
पुरानी कहानियां सुनाता कौन है ?
पुरानी कहानियां सुनाता कौन है ?
हम अपने कमरों तक सीमित है
हाल पूछने जाता कौन है ?
हाल पूछने जाता कौन है ?
बचपन बोझ में दब गया यहाँ
खुलकर खिलखिलाता कौन है ?
खुलकर खिलखिलाता कौन है ?
आपस की जरुरत हैं हम सभी
एक दुसरें को समझाता कौन है ?
एक दुसरें को समझाता कौन है ?
देखो रोज़ दंगे करवाते हैं ये
ठेकेदार इन्हें बनाता कौन है ?
ठेकेदार इन्हें बनाता कौन है ?
शुक्रवार, 20 नवंबर 2015
गुरुवार, 19 नवंबर 2015
मंगलवार, 17 नवंबर 2015
चमक जाऊं किस्मत मेरी बना दे माँ
चमक जाऊं किस्मत मेरी बना दे माँ
मुझे कोई नया राश्ता दिखा दे माँ
मुझे कोई नया राश्ता दिखा दे माँ
इस शहर में तुझ बिन भटक गया हूँ मैं
सही राह पर चलना अब सिखा दे माँ
सही राह पर चलना अब सिखा दे माँ
जहाँ इस में किसी की ना कदर कोई
सभी दिल में छुपा रावण जला दे माँ
सभी दिल में छुपा रावण जला दे माँ
कभी जलती कभी यें कोख में मरती
सभी समझें सभी का घर बसा दे माँ
सभी समझें सभी का घर बसा दे माँ
यहाँ नफरत किसी से ना करें कोई
रहें मिलकर हवा ऐसी चला दे माँ
रहें मिलकर हवा ऐसी चला दे माँ
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