शनिवार, 21 नवंबर 2015

किस्मत अपनी के भी कमज़ोर सितारे हैं

  गम के मारे हैं
  कुछ बेचारे हैं

किस्मत अपनी के भी
 कमज़ोर सितारे हैं.......

कहने को अपने हैं
  झूठे सहारे हैं

ज़िन्दगी मझदार में हैं
  दूर किनारे हैं

किस पे यकीं करूँ
   बेवफा सारे है

राज़ उड़ेगा आसमां में
  पकड़ने तारे हैं !!