सोमवार, 23 सितंबर 2013

क्यूँ आज फिर मेरी आँखों से बरसात हुई ?

जिंदगी में देखो ये कैसी काली रात हुई ?
क्यूँ आज फिर मेरी आँखों से बरसात हुई ?

इस कदर नफरत है उनके दिल में, मेरे लिए 
हकीक़त ना सही, ख़्वाबों में तो मुलाक़ात हुई 

वो क्या गए जिंदगी से, जिंदगी ही चली गयी
खुशियों ने दामन छोड़ा, ग़मों की शुरुआत हुई

वो संग-संग है मेरे, पर संग नहीं है मेरे
इश्क, प्यार, मोहब्बत, सभी दिखावटी बात हुई

कैसे छुडाए "राज" इस बेरहम ज़िन्दगी से पीछा
ना चाह के भी जी रहा हूँ, ज़िन्दगी भी हवालात हुई !!